जनवरी के महीने सर्दियों की छुट्टियां पड़ी। शुरुआत में मुझे टास्क दिया गया कि अपनी गुज्जर भाषा की हिन्दी की वर्णमाला बनानी थी। जब मैने ये वर्णमाला बनाई तो मुझे लगा की हम बहुत कुछ कर सकते है परंतु हम कोशिश नहीं करते इसलिए शायद अधूरा रह जाता है।
एक और नई चीज पता लगी खुद की भाषा के बारे में कि जैसे हिंदी के काफी अक्षर है जिन्हें हमारी गुज्जर भाषा में प्रयोग नहीं किया जाता है।
जब मैने ये टास्क पूरा कर लिया तो स्कूल खुलने की बारी थी परंतु ठंड का कोहराम इतना बढ़ गया कि लगभग 15 दिन की ओर छुट्टी बढ़ गई। इन छुट्टियों में कोहरे की चादर पहने गुज्जर बस्ती कुछ अलग सी लग रही थी।
इसी बीच स्पार्क्स की रेजिडेंशियल ट्रेनिंग होने जा रही थी तो उसके लिए काफी उत्सुक थी। पहली बार घर से बाहर कहीं जाकर दो दिन के लिए रहना खुद के लिए एक नई पहल थी। इसके लिए काफी तैयारी करनी थी और वहां जाकर क्या होगा, किन लोगों से मिलेंगे, अनेक तरह के सवाल मन में आ रहे थे ।
फिर हम 26 की सुबह 7 बजे निकले। हाथ ठंड में कांप रहे थे लेकिन जब हम बोधिग्राम पहुंचे तो वहां का वातावरण देख कर बहुत अच्छा लगा। स्पार्क्स में शिक्षा और उसके आस पास मॉल भूत चुनौतियों पर हम सभी ने खुल कर चर्चा की। जिस समाज से में आती हूँ वहाँ की चुनौतियों पर भी चर्चा हुई जिससे एक मार्ग दिखा और जिस पर मैं टीम में और भी चर्चा करना चाहती हूँ। मुझे अपने आप को भी और समझने का मौक़ा मिला। शिक्षा के छेत्र में मुझे अभी और काफ़ी सीखना और समझना है। ऐसे मौक़े मुझे काम के प्रति एक नया नज़रिया देना काम करते है।
BY AAFREEN
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