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EXPERIENCE SHARING- 1: "SPARKS WORKSHOP"

Writer: SamantaSamanta

जनवरी का पूरा महीना तो छुट्टियों में ही निकाला जा रहा था। बार-बार छुट्टी बढ़ने का नोटिस आ रहा था और स्कूल खुलने की अभी कोई उम्मीद नहीं थी । 

पर इस बार मैं स्पार्क्स ट्रेनिंग के लिए उत्साहित था। पहली बार हम साथी फैलो एक रेजिडेंशियल ट्रेनिंग पे जा रहे थे। हम सभी बहुत उत्सुक थे और साथ ही थोड़ा घबरा भी रहे थे। हम 26/01 की सुबह सुबह वहाँ समय पर पहुंच गए। जगह काफी शांत, सुंदर और काफी ठंडी थी। अपना पोस्टर देख के मैं काफी सरप्राइज़ था, पहला दिन ट्रेनिंग का काफी अच्छा बिता और हमें ड्रामा प्ले करने के लिए भी अलग-अलग टीमों में बांट दिया और अलग अलग टॉपिक दिए गए। हमारा टॉपिक था “सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के समाज पर प्रभाव”। दूसरे दिन की शुरुआत सुबह nature walk  और बर्ड वाचिंग के साथ हुईं। पहली बार मैं किसी nature walk का हिस्सा बना था। प्रकृति को इस नज़र से पहली बार देख कर मुझे काफी आनंद  आ रहा था। मुझे काफी नई चिड़िया भी देखने को मिली। दूसरे दिन ट्रेनिंग में काफी बातो को लेके चर्चा हुई  और शाम कब हो गई पता ही नहीं चला।  कल हमारा यहां तीसरा और आखिरी दिन था। हमें अपने प्ले भी तैयार करना था। हम उस रात 3 बजे तक प्ले की प्रैक्टिस करते रहे। अगली सुबह काफी ठंड थी। हमें आज ब्रेकफास्ट के लिए थोड़ी देर भी हो गई थी। आखिरी दिन सब अपने अपने प्ले करने वाले थे। मैं अपने आप को लेके काफी nervous था।  कभी पहले न प्ले किया था न ही उसका भाग रहा था। पर मैंने अपनी उम्मीद से काफी अच्छा किया। स्पार्क्स में सभी एक दूसरे के साथ ऐसे घुल मिल गये थे कि तीसरे दिन जब वापस जाने का वक़्त आया तो सभी भावुक हो गये थे।




By Shoaib



 
 
 

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