मैं इस ब्लॉग में अपने 2 महीनों का अनुभव बताने जा रहा हूँ। 1 साल से मैं सुन रहा था कि अगले साल को नए फैलो आएंगे और समानता में कॉन्पिटिशन होने वाला है। मैं हमेशा सोचता था कि मैं ना छूट जाऊं। जब मेरा पेपर और इंटरव्यू हुआ तो मेरे दिल में एक अलग तरह की हलचल थी कि मुझे समानता में इस साल भी काम करने का मौका मिलेगा या नहीं। मेरे दिल में एक अजीब उत्सुकता थी लेकिन जब मैंने देखा की मेरा सिलेक्शन हो गया और मुझे समानता टीम में रखा गया है। इस दौरान टीम में चर्चा होने लगी समानता में स्कूल से जुड़े काम और बेहतर ढंग से होगा और समानता में टीम बढ़ेगी। टीम द्वारा चर्चा की गई कि हमें बने बनाए लेसन प्लान मिलेंगे जिसको हम पीबीएल के नाम से जानते हैं और जब पी बी एल को समझाया गया तो मैं सही से नहीं करा पाया। दो पीबीएल में कौन सा कराना है यह मुझे नहीं पता चला तो इंग्लिश की जगह मैथ का करने लग गया। तो इसमें मुझे बहुत कन्फ्यूजन हुई उसके बाद मेरी टीम से चर्चा हुई तो टीम द्वारा मुझे बताया गया कि एक पी बी एल करना है और कैसे कराने में समझाया गया फिर से पड़ा अब मैं अच्छे से जानता हूं कि इसमें मुझे कैसे काम करना है। पी बी एल से पहले हमने बच्चों का टेस्ट लिया। हमने पाया कि कुछ बच्चे 1 साल में काफी चीजें सीख गए और कुछ बच्चे पढ़ाई में काफी कमजोर है। दूसरा मुझे यह सीखने को मिला की हम टेस्ट से हम जान सकते हैं के बच्चे का स्तर क्या है?
सीख
पढ़ने के बाद पता चला PBL बच्चों को सीखने में बहुत अच्छी तरह मदद करता है और बच्चा इससे एक्टिविटी से करता जाता है। दूसरा कम्युनिटी सर्वे क्यों जरूरी है? यह किस लिए किया जाता है? यह बहुत जरूरी है। तीसरा एक इंसान किस तरह अपने जीवन के विजन को पाने के लिए छोटे-छोटे गोल बनाकर अपने जीवन के मिशन की तरफ बढ़ता जाता है। अपने जिंदगी के लक्ष्य को पाने के लिए हम किस तरह काम कर सकते हैं। यह जानने का मौका मिला। दूसरा, हम हर चीज को दूर से देखते हैं लेकिन हमारे अंदर दिल में क्या चल रहा है। मैंने सीखा है की हमें अपने आप को खुद को देखना चाहिए समझना चाहिए की हम क्या है और क्या कर सकते हैं? और जो मई मैं जो ट्रेनिंग हुई है यह मेरे लिए काफी लाभदायक थी और इस ट्रेनिंग को समझ कर अपने लक्ष्य को पाना और आसान लगा।
By - Saddam
Comments