कम्यूनिटी विजिट के दौरान मैं सलमा से मिला। सलमा उम्र में बड़ी थी और वो कभी स्कूल नहीं गई थी। मैं उसके माता-पिता से मिला और बच्ची के स्कूल ना जाने का कारण पूछा। उनकी ओर से कोई ख़ास जवाब नहीं मिला तो मैंने उस लड़की से बात की और उसकी पढ़ने में रुचि थी। मैंने उसके माता-पिता से शिक्षा के महत्व और बच्चे की शाक्षरता को लेकर चर्चा की और उन्हें बच्ची का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए तैयार किया। तीन-चार दिन के बाद उस बच्ची के पिता आए और उसका एडमिशन हो गया। सर ने कहा कि उम्र के हिसाब से बच्ची बड़ी है तो हम इसे कक्षा एक में कैसे रख सकते हैं। मैंने सर के साथ चर्चा की और तह किया कि हम कुछ दिनों तक इसे कक्षा 1 में बिठाते है और यदि इसे थोड़ा पढ़ना आया तो हम इसे कक्षा 2 में शिफ्ट कर सकते हैं। उस बच्ची के साथ मैंने अक्षरों की पहचान पर काम किया और फिर शब्दों पर। उसके कुछ दिन बाद मात्राओ पर काम किया। धीरे धीरे वह अब समझकर पढ़ने लग गई। वह लड़की आज हिंदी पढ़ने लगी है और उसे पढ़ते देखकर सर ने कक्षा 2 में शिफ्ट कर दिया है।
By Saddam
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