top of page
Writer's pictureSamanta

IMPACT X STORIES - 17

यू तो मैं काफी समय से बच्चो के साथ काम कर रही हू लेकिन कुछ बच्चे है जिनके अंदर मैंने कही न कही अपने काम का एक अच्छा असर देखा। इसमें कक्षा दो का निखिल भी है। हालाकि मैं इन बच्चो के साथ काफी समय से काम कर रही हूँ  लेकिन निखिल के अंदर मुझे बदलाव नही दिख पा रहा था। वो अभी अक्षरों की पहचान नही कर पा रहा था जो मेरे लिए बहुत ही चुनौती भरा था। अब मैं इस उलझन में थी की आखिर निखिल ही क्यों नही सीख पा रहा है? वो क्लास में लड़ाई झगड़ा तो काफी किया करता था लेकिन पता नही अक्सर पढ़ने को लेकर वो हमेशा पीछे रह जाता था। निखिल को लिखा हुआ उतारना अच्छा लगता था। वो सुबह सुबह ही कुछ शब्दो को उतार लिया करता था लेकिन जब उन्हे पढ़ने की बात आती तो निखिल हमेशा पीछे रह जाता था। निखिल को जानने में मुझे थोड़ा समय लग गया। मुझे उसके सीखने के तरीको को जानने में कुछ समय लगा। धीरे-धीरे उससे बात करते, उसे पढ़ाते-पढ़ाते मालूम हुआ की निखिल बार-बार पढ़ के लिखने से जल्दी सीखता है। अब मुझे जैसे ही ये मालूम हुआ तभी मैंने इस चीज पर काम करना शुरू किया जिसका असर मुझे नही दिखा और उस बात से मैं और ज़्यादा परेशान हो गई। जब भी मैं सब बच्चो को होमवर्क देती तो वो हमेशा भूल जाता और कहता मुझसे नही होता। जब स्कूल में PTM रखी गई तो निखिल के घर से उसकी दादी आई और जब उनसे होमवर्क ना करके लाने का कारण पूछा तो पता चला कि उनके घर पर उसे पढ़ाने के लिए कोई शिक्षित व्यक्ति नहीं है। वो पूरी तरह से स्कूल पर निर्भर है। 

निखिल रोज स्कूल आने वाले बच्चो में से एक था। मैं अब निखिल को रोजाना हिंदी के अक्षरों के ज्ञान की ओर लेके जाती थी जिससे निखिल धीरे-धीरे अब अक्षरों को पहचानने लगा था। एक दिन जब वह अपनी पसंद की स्टोरी बुक्स में पढ़े हुए  अक्षर ढूंढने लगा तो मुझे कुछ उम्मीद की किरण नजर आई और इससे मुझे थोड़ा हौसला मिला। अब इसी तरह निखिल रोजाना रीडिंग सेशन में दो से तीन अक्षरों वाले शब्द पढ़ने लगा और जब निखिल के लिए क्लास में तालिया बजती तो उसके  चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान रहती थी। अब धीरे धीरे निखिल के अंदर उन तालियों ने इतना हौसला भर दिया कि उसने मेरे आगे इच्छा रखी की वह और अच्छा पढ़ना सीखना चाहता है। अब निखिल भी धीरे धीरे पढ़ने की कोशिश करने लगा और पता नहीं कब वह मात्रा वाले शब्द पढ़ने लगा और इसके लिए उसने शायद मुझसे भी ज़्यादा मेहनत करी। सीखने की प्रक्रिया शायद बहुत धीरे शुरू हुई जिससे एक समय पर मुझे भी लगने लगा शायद नही हो पाएगा लेकिन निखिल की पढ़ने सीखने 

की इच्छा ने हार अभी तक नही मानी और वो इच्छा हमेशा मेरे अंदर एक हौसला सा भर दिया करती थी जिसका अंजाम बहुत ही बेहतरीन निकला। निखिल के इस हौसले से मैंने सीखा कि "बच्चे की इच्छा जब जन्म लेती है किसी काम को करने की तो वो बहुत कुछ कर जाते है जो शायद कभी हम नही कर पाए। उन्मे बस वो इच्छा जगाने की देर है और हमारे सितारे एक दिन पूरा आकाश अपनी रोशनी से भर देंगे।”  आज जब मैं निखिल को रीड करते देखती हूँ तो मेरे अंदर काम करने की शक्ति सी भर जाती है उन बच्चो के साथ काम करने के लिए जो निखिल जैसे सितारे है जो कही न कही टिम टिमा रहे है ।



By Meenakshi

19 views0 comments

コメント


bottom of page