जब हम स्कूल जाते थे, तब हमारे स्कूल में बाल दिवस काफी बेहतरीन तरीके से मनाया जाता था। मैंने सोचा आज तक स्कूल में बाल दिवस पर ज्यादा ज़ोर नहीं दिया गया है। पर इस बार मैंने हेडमास्टर से बाल दिवस मनाने पर चर्चा की और उन्होंने भी उत्साह से चर्चा में भाग लिया। पर दीपावली की छुट्टियां भी इसी सप्ताह में थी। बाल दिवस के लिए हमने अपनी टीम में भी चर्चा की। तान्या, प्रशांत, गुनीत, वृंदा सभी ने अपने अपने विचार दिए। हेडमास्टर सर और बाक़ी साथियों के साथ चर्चा करने के बाद 17 नवम्बर को बाल दिवस मनाना तह किया गया। जब खेल हो रहे है तो कोई जीतेगा भी!!! जीतने वाले को क्या मिलेगा? उसके लिए मेडल कैसे रहेंगे? बच्चों से इन सवालों पर चर्चा हुई। टीम को भी मेडल का विचार अच्छा लगा। सर के साथ मिलकर अलग अलग खेल के लिए अलग अलग टीम बनाई और छोटे बच्चो के लिए मजेदार दौड़े राखी।
17 नवम्बर का दिन आया और सब स्कूल में आए। हमने साथ मिलकर काफी अच्छे तरीके से बाल दिवस मनाया। ऐसा बाल दिवस स्कूल में पहली बार मनाया गया था। जीते हुए बच्चे जब मेडल घर लेकर गए तो उनके माता पिता भी देख कर काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।
By Shoaib
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