top of page
  • YouTube
  • LinkedIn
  • Black Facebook Icon
  • Black Twitter Icon
  • Black Instagram Icon

IMPACT X STORIES - 16

Writer's picture: SamantaSamanta

जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है, बच्चों के साथ हर दिन कुछ नया अनुभव करती हूँ। हिंदी पढ़ने में पहले बच्चें बहुत असहज महसूस करते थे। हम स्कूल में बच्चों को हिंदी पढ़ाते तो है परंतु  बच्चों के साथ पढ़ने के कल्चर पर काम नहीं करते है। बच्चे तो अपनी मर्जी के मालिक होते है। बच्चे जिस समाज से आते है वहाँ उन्हें पढ़ने के लिए बोलने वाला कोई नहीं है और वे तभी पढ़ते है जब उनका ख़ुद मन करता है। इसी से जुड़ा एक अनुभव आपके साथ साझा करना चाहती हूँ। यह क़िस्सा कक्षा 6 के बच्चे अशरफ़ का है। जब मैंने स्कूल जाना शुरू किया तो शुरू शुरू में एक दो महीने अशरफ़ पढ़ाई से कोसो दूर था। परंतु मैंने सोचा कि कक्षा के सितारे (अशरफ़)  को एक उभरता हुआ सूरज बनाने की कोशिश करती हूँ। तो मैं उस बच्चे से रोज बात करती और पूछती कि क्या पढ़ रहा है- ‘अक्षर क्या है? इनकी ध्वनि क्या है? कौन सी मात्रा है?’ जैसे-जैसे उसकी समझ बनती गई वह पढ़ने में बेहतर होता गया। धीरे-धीरे उसका पढ़ने को लेकर आत्मविश्वास बढ़ता गया और ख़ुद से पढ़ने की कोशिश करने लगा है। इसका एक और असर हुआ कि अशरफ़ अब रोज़ स्कूल आने लगा है और उसे देख उसके मित्र भी आते है। हिन्दी को लेकर उसकी सहजता ऐसी हो गई है कि अब वह गलती करता है तो भी घबराता नहीं है और दोबारा कोशिश करता है। 



13 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page