अगर मैं अपनी बात करू तो ज्यादातर मुझे अजनबी लोगो के घर जाने मैं हिचकिचाहट होती है। मैं इस की वजह नही जानता पर ये मेरे साथ होता है। ऐसे ही जब मुझे कहा गया की आपको कम्युनिटी सर्वे करना होगा तब भी हुआ। लेकिन मैं फिर भी कम्यूनिटी मैं गया। काफी परिवारों को मैं जानता था, तो मैंने सबसे पहले उन्ही के घर चुने। पहले दिन ही काफी सवालों का सामना करना पड़ा, मैं डर गया था कि सर्वे पूरा कैसे किया जाएगा।
टीम में गुनीत भाई से बात करने के बाद काफी सवाल हल हुए और नए तरीका भी खोजे जिससे मैंने कम्युनिटी के लोगो को सर्वे के सवाल अच्छे से समझा सकु। धीरे-धीरे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और मैं उन लोगो के घर भी गया जिन्हें मैं नहीं जानता था। उन्ही में से एक थी खातून की अम्मी।
खातून का 1 भाई और 1 बहन है, जिनमे से किसी का भी स्कूल में एडमिशन नही हुआ था। मैं जब जुलाई की ट्रैनिंग कै दौरान उनके घर पहुँचा और पूछा के आपके बच्चे स्कूल क्यों नही जा पा रहे। तो उन्होंने कहा दो बच्चो का आधारकार्ड नही है और एक लड़की इन दोनो की वजह से नही जाती। मेरी उनसे काफी चर्चा हुई और अंत में मैंने उनसे कहा की आप जून की छुट्टियों के बाद स्कूल आए। पहले दिन मैंने स्कूल के हेड मास्टर, महिपाल सर, से सारी चर्चा की। मुझे नहीं पता था कि खातून की अम्मी स्कूल आयेंगी भी या नहीं। पर सोमवार सुबह वो मुझसे भी पहले स्कूल पहुँच गई और मैं उन्हे देखकर बहुत खुश हुआ। आखिर कार एक लड़की का एडमिशन कक्षा एक मैं हो गया और लड़के को सर ने कहा इसे स्कूल आने दो जब आधार कार्ड बन जायेगा इनका नाम भी लिख लेंगे। अब जब भी खातून स्कूल आती है और चाहे उनकी लाइब्रेरी सेशन की बारी हो या न हो वो लाइब्रेरी मैं
मुझे Good Morning कहने जरूर आती है।
By Shoaib Akhtar
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