इस महीने मैं बच्चों से मिलता रहा। छुट्टियों में भी और बच्चों का मेरे साथ काफी जुड़ाव रहा। छुट्टियों के बाद जब मैंने पीबीएल करना स्टार्ट किया (Be Your Own Author) तो कक्षा 5 के बच्चों को मैंने बोला कि तुम्हें अपने मन से कोई कहानी लिखनी है। मैंने बच्चों को पढ़ने के लिए बहुत सारी किताबें दी। मैंने बच्चों को बताया इन किताबों को पढ़ो और तुम भी इसी तरह कहानी लिखो। लेकिन बच्चों को समझ में नहीं आ रहा था कि किस टाइप की कहानी लिखनी है। मैंने बच्चों को यह भी बताया कि तुम से जुड़ी कोई घटना या कोई भी कहानी तुम्हें आती हो या तुम्हारे घर वालों ने को सुनाई हो वह भी लिख सकते हो। लेकिन बच्चे नहीं लिख पाए। फिर मैंने बच्चों को अपनी कहानी बताई। मैंने उन्हें बताया कि मैं कैसे स्कूल जाता था, कैसे मैंने अपनी पढ़ाई शुरू की और मेरा स्कूल कहाँ था।
मैं उन्हें अपनी कहानी सुनाने के साथ उससे जुड़े चित्र भी बनाता चल रहा था। मैंने अभी कहानी पूरी भी नहीं की थी के बच्चों ने अपनी अपनी कहानियां लिखनी शूरू कर दी और वे अपने अनुभवों को कहानी के रूप में बताने लग गये। देखने वाली चीज यह थी कि हर बच्चा सोचने लग गया। “मेरे साथ क्या हुआ? मेरे साथ कौन था? वे इन छोटे छोटे सवालो के जवाब खोजने लग गये और देखते ही देखते बच्चों ने अपनी कहानी लिख दी। कक्षा 5 की लड़कियों ने भी कहानियां लिखी थी। मैंने उनकी कहानियां पढ़नी शुरू की तो लड़कियां एक दूसरे के पीछे छुप छुप कर मेरी तरफ देखती रही और हस्ती रही। पर गजब की बात तो यह है बच्चों ने अपनी कहानी को छोड़कर अपने परिवार के सदस्य की कहानी भी लिख डाली। उसके बाद आज भी कक्षा 3 और 4 और 5 के बच्चे कहानियां लिखकर लाते हैं। रोज मुझे चेक कराते हैं और बच्चों को हर दिन कुछ ना कुछ लेकर आने की आदत हो गई है।
By Saddam
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