top of page
  • YouTube
  • LinkedIn
  • Black Facebook Icon
  • Black Twitter Icon
  • Black Instagram Icon

जंगल की शिक्षा - एक कुड़ी की नज़र से

Writer's picture: SamantaSamanta


मेरा नाम फरीदा है।


मैं ऐसे परिवार में पैदा हुई जिसमें कोई भी शिक्षा, स्वच्छता, आजादी का नामोनिशान नहीं था। जब मैं पैदा हुई तो मेरे समाज के लोगों को लड़की होने से एक जलन सी हो गई। मेरा बचपन बहुत सीधे-सादे परिवार व अशिक्षित परिवार में गुजरा । मेरे पिताजी एक अशिक्षित होकर भी हमें शिक्षित करना चाहते थे। मेरे पिताजी जंगल में निवास करते थे पर जंगल में रहते हुए भी उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने की एक सोच सोची थी। जब मेरे पिताजी ने हमें पढ़ाने की सोची तो मैं अपने पिता जी की बड़ी बेटी थी और एक लड़की थी। मेरा समाज ऐसा था जिसमें लड़कों को भी कभी शिक्षा नहीं दिलाई गई। परंतु लड़कियों को शिक्षा दिलाने के नाम पर तो उनके चार आंखें लग जाती थी।


इन सब बातों को सोचते हुए मेरे पिताजी ने सोचा कि मेरी तो एक लड़की है मैं इसको स्कूल तक कैसे भेजूं?


जंगल से कुछ दूरी पर एक स्कूल था वहां पर मेरा दाखिला करवा दिया। जब मैं शिक्षा के लिए पहली बार स्कूल गई तो स्कूल का माहौल देखकर मैं डर सी गई। पर स्कूल जाने का शौक मुझे बहुत था। कुछ समय तक जब मैं जंगल से पैदल रास्ता तय करके स्कूल जाती थी तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। जंगल के रास्ते में कभी हाथी कभी कोई सांप आदि का खतरा रहता था। पर मन में था कि बस पढ़ना है पापा जी ने कहा था बस पढ़ाना है।


पिताजी ने सोचा सिर्फ बच्चों को पढ़ाना दो ही शब्द दिल में रहते थे। मेरे पिताजी ने हमे शिक्षा तक पहुंचाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना किया। कभी हम स्कूल जाते थे कुछ टाइम नहीं जाते थे। तो पढ़ाई ज्यों की त्यों रहती थी। फिर पिताजी ने अपनी भैंस वगैरह सब बेच दी तथा स्कूल के पास ही रहन- सहन कर लिया। मेरे पिताजी ने खुद कड़ी मेहनत करके अपना काम चलाते थे पर हमें रोजाना स्कूल भेजते थे। समाज के लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए कि लड़की है मत पढ़ाओ। हमारे समाज में आज तक कोई नहीं पढा इसे भी ना पढ़ाओ मगर मुझे शिक्षा से लगव हो चुका था।


मैंने मन में सोच लिया था समाज की सिर्फ सुननी है, पिताजी की बात को मैं हमेशा मानती थी। पिताजी की हर एक बात को मैं मन में रखकर मेरे कदम आगे ही आगे बढ़ते चले गए पर मैं थमी नहीं। मैंने समाज की हर एक बात को सुनते हुए अपना इंटर पूरा किया। एक कॉलेज में b.a. का एडमिशन लिया फिर मेरी शादी हो गई। शादी होने के बाद मूझे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा कुछ समय पढ़ाई को रोका पर शादी होने के बाद भी मैंने अपना d.el.ed पूरा किया। शिक्षा ग्रहण करके मैं चाहती थी कि मैं अपने समाज के बच्चों को शिक्षित करूं तथा स्कूलों तक पहुंचाउं।


आज मैं समानता के फेलोशिप का हिस्सा हूं। जिसका मुझे बहुत गर्व है। मुझे ऐसा कभी अंदेशा भी नहीं था। आज मैं खुद बच्चों को शिक्षा देती हूं तथा शिक्षा क्या है ?क्यों जरूरी है ?यह सब सीख रही हूं। शिक्षा से अपने जीवन के हक- हकूको को जाना। शिक्षा से ही मैं एक लड़की होकर जो अपने हक के लिए कोर्ट से लड़ाई लड़ रही हूं।


मैं चाहती हूं कि शिक्षा ही तो सब कुछ है वरना जिंदगी में सिर्फ अंधेरा है। मैंने अपनी जिंदगी को सिर्फ शिक्षा के माध्यम से ही चमकाया है। शिक्षा से मेरी जिंदगी में रोशनी है। मैं आगे भी चाहती हूं कि शिक्षा से मैं जिंदगी में ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकूं तथा सभी को शिक्षा की ओर मोड़ सकूं। जब मैं शिक्षा के लिए स्कूल जाती थी तो मेरे पिताजी तो चाहते थे कि मेरी बेटी पढ़ लिख कर हमारा नाम रोशन करें। पर मेरे समाज में पढ़ाई का कुछ पता तक नहीं था। मेरा समाज अशिक्षित था समाज में कोई भी पढ़ा लिखा नहीं था मेरे समाज की यह सोच थी कि जैसे हमारे समाज में लड़कियां सिर्फ घर का काम ही करती है, अपनी भैंसों को पालती है उनको घास पत्ती चारा डालती है। दूध निकालती है यही सब काम करती है इसी तरह यह लड़की भी समाज में रहकर अपना घरेलू काम ही करें पर शिक्षा ना पाए।


मेरे समाज के लोगों की सिर्फ यह सोच रही थी कि अगर मेरे समाज में रहकर कोई लड़का या लड़की पढ़ लिख लिया तो वह गलत रास्ते पर चल जाएगा इसीलिए मुझे भी पढ़ाई से रोका जाता था। अपने समाज से सिर्फ और सिर्फ वन गुर्जरों से मैं पहली एक ऐसी लड़की थी जो अपने घर से तैयार होकर स्कूल जाती थी। जब मैं स्कूल की ड्रेस में घर से निकलती थी तो मेरे समाज के लोग मुझे जाते हुए देखते थे तथा वह इस बात की आपत्ति उठाते थे कि यह लड़की सर पर दुपट्टा नहीं रखती है सर को ढककर नहीं जाती है यह गलत है। क्योंकि हमारे समाज में ऐसा नहीं है इस तरह के आपत्ति मेरे समाज के लोग उठाते थे। पर मैंने अपने समाज के लोगों की यह बात सुनी और इसका सॉल्यूशन निकाला। जब मैं घर से जाती थी तो अपने सर को ढककर जाती थी तथा स्कूल पहुंचकर मैं अपनी ड्रेस में रहती थी जैसे स्कूल के और बच्चे रहते हैं।।


आजमैं अपना इंटर पूरा कर चुकी हूं कुछ टाइम मेरी पढ़ाई छूट जाने के कारण अब फिर मैं दोबारा से b.a. करने की कोशिश कर रही हूं।।।


Farida



65 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page