मेरा नाम मंजू भारती है। मैं सज्जनपुर पीली के रहने वाली हूं और मैं मैरिड हूं। मेरी तीन बेटियां है। मैं अपने परिवार में इस तरह उलझ चुकी थी कि मेरे पास घर संभालने के अलावा और कोई चारा नहीं था। हमारा एक छोटा सा जूस कॉर्नर है और मैं अपने पार्टनर के साथ दुकान सम्भालती थी। अचानक से हमारे जूस सेंटर पर एक लेडी आती है और वह मुझे समानता के बारे में बताती हैं। जिस दिन वह मुझे मिली वह सामानता फाउंडेशन का फ़ार्म भरने की आख़िरी डेट थी। फ़ार्म भरने के बाद मेरी लिखित परीक्षा थी। उस पेपर में बहुत से ऐसे प्रश्ऩ थे जिन्होंने मुझे बहुत प्रेरित किया। पेपर देने के बाद हमारा इंटरव्यू हुआ और उस इंटरव्यू से मुझे फैलोशिप के बारे जानकारी मिली।
फिर हमारी ट्रेनिंग हुई। उन 18 दिन की ट्रेनिंग में हमने बहुत कुछ सीखा। एक दूसरे को अपना कैसे बनाया जाता है मैंने यह वहाँ होते हुए देखा। सामानता जो यह शब्द है वह अपने आप में बहुत अच्छी भूमिका निभाता है। इस शब्द से हमें यह समझ आता है कि सबको समान देखो और सबको सम्मान दो और जो बातें मैंने अपने जीवन में आज तक नहीं सुनी थी वह मुझे वहां सीखने को मिली। इस सभी अनुभवों से मुझे बहुत हिम्मत मिलती है और इसी के साथ मैं अपना ब्लॉग समाप्त करती हूं।
By Manju
Comments