top of page
Writer's pictureSamanta

नया रास्ता नई सीख

मेरी ट्रेनिंग खत्म होने के बाद मैं स्कूल में गई और मुझे बहुत अच्छा लगा पर चुनौतीपूर्ण भी था। पहले दिन क्योंकि वहां मैं किसी बच्चे को नहीं जानती थी और किसी टीचर से नहीं मिली थी, तो यह मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती वाला दिन था और मैं धीरे-धीरे शिक्षको से मिली और बच्चों से मिली और मैंने  बच्चों के नाम पता करें। उनको अपना नाम बताया और बताया कि मैं समानता फाउंडेशन की तरफ से आई और मैं एक फैलो हूं जो बच्चों को लाइब्रेरी के माध्यम से पढ़ाऊंगी एवं FLN तथा निपुण भारत की उपलब्धि में सहयोग दूंगी।  मेरे लिए सबसे जरूरी स्टूडेंट विजन है, जो मुझे पूरा करना है। स्टूडेंट विजन बच्चों के आने वाले भविष्य के लिए बहुत जरूरी ।है इसमें हमें बच्चों को वैज्ञानिक सोच और जागरूक बनाना है। मैंने उनको यह भी बताया है कि मेरा पेपर हुआ है और मेरा डेमो हुआ तथा इंटरव्यू हुआ है। तब उसके बाद मेरा इस स्कूल में सिलेक्शन हुआ है। धीरे-धीरे में बच्चों को जानने लगी और बच्चे मुझे जानने लगे हैं। कहानियों के द्वारा में बच्चों को पढ़ाने लगी तथा कई गतिविधियों के द्वारा और कई कहानियों के द्वारा मैंने उनको पढ़ाया है। हम सब मिलकर बच्चों के साथ में प्रतिदिन प्रार्थना के समय, छुट्टी के समय कहानी सुनाते है और हम कई गतिविधियां भी करते है। अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं समानता फाउंडेशन के द्वारा  विद्यालय में गई हूं और मुझे पढ़ाने में बहुत अच्छा लग रहा है। बच्चे भी मेरे से काफी मिलझुल गए हैं। हम एक दोस्त की तरह ही मिलकर रहते हैं और मैं बच्चों को उनके मानसिक स्तर के अनुरूप समझने की कशिश कर रही हूं।



मई के महीने में हम अपने कैलेंडर के अनुसार ही सब कुछ कर रहे है। जैसे शिक्षको के साथ और बच्चों के साथ अपना अच्छा रिलेशन बनाना है और वह मैंने सब कुछ सही ढंग से किया और मैं अच्छे से टीचर के साथ और बच्चों के साथ घुलमिल गई हूं। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब बच्चे मुझे बोलते हैं कि मेम और पढ़ाओ। बच्चे मुझे क्लास से बाहर आने नहीं देते और अगर जैसे कि मैं थोड़ा लेट हो जाती हूं दूसरी क्लास में जाने के लिए तो बच्चे बार-बार आते हैं कि मेम हमारी क्लास में आओ और हमें पढ़ाओ जल्दी आओ। हाथ पकड़ कर लेकर जाते हैं अपनी क्लास में पढ़ाने के लिए तो यह मुझे बहुत अच्छा लगता है कि  बच्चे मुझे समझ पा रहे और मैं बच्चों को समझ पा रही हूं। 

इन सभी अनुभवों के बाद मेरे अंदर काफी बदलाव आए हैं। मेरे बोलचाल का बर्ताव भी बदला है। पहले मुझे  बच्चे पसंद नहीं थे जब से मैंने बच्चों को पढ़ना शुरू किया है तो मुझे बच्चे पसंद आने लगे और मुझे बहुत अच्छा लगता है। घर आने का मन ही नहीं करता। ऐसा मन करता की बस बच्चों के साथ पूरा दिन यही रहे और समय का भी पता नहीं चलता कि समय कब निकल जाता हैl मई के महीने के अंत में हमने 2 दिन का समर कैंप किया। समर कैंप में C.E.O(Haridwar) भी आए थे। उन्होंने मर द्वारा बनाई योजना की खूब तारीफ करी और बच्चों को भी प्रोत्साहित किया। 2 दिन के समर कैंप में मैंने बच्चों को पढ़ाई से संबंधित कुछ गतिविधियां भी करवाई। समर कैंप वाले दिन मैं बच्चों को दो फिल्म भी दिखाइ जैसे ‘आई एम कलम’ और ‘तारे ज़मीन पर’ बच्चों ने फिल्म देखी और उन्हें खूब आनंद आया तथा मुझे बच्चों के द्वारा बहुत कुछ सीखने को मिला। ऐसा लगता है जैसे कि हम अपने खुद के बचपन में ही चले गए हैं। मैं समानता फाउंडेशन का धन्यवाद कहना चाहूंगी कि उन्होंने मुझे इस काबिल समझा है कि मैं बच्चों को पढ़ा सकूं। यह मेरे जीवन की नई शुरुआत है।


By Swati

46 views0 comments

Comments


bottom of page