यूं तो जिंदगी चल ही रही है। लेकिन राह में कुछ नए मोड़ आए, इसी बीच सामानता फाउंडेशन से मेरा परिचय हुआ। समानता फाउंडेशन की गतिविधियों का मैंने अवलोकन किया।
समानता फाउंडेशन बच्चों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहा है।यह जानकर मुझे गर्व की अनुभूति हुई, मेरा रुझान इसमें बढ़ता जा रहा था। इसी बीच समानता फाउंडेशन के एनुअल ट्रेनिंग कैंप की प्रतिभागी बनी। यह कैंप 7 अप्रैल से शुरू हुआ। पहले दिन के लिए मैं बहुत जिज्ञासु थी। मेरे मन में कई सवाल घर कर रहे थे। ट्रेनिंग का समय सुबह 8:30 से 1:30 था।
7 अप्रैल की सुबह 7:00 में घर से निकली समानता फाउंडेशन के ऑफिस गुर्जरबस्ती के लिए। यह मेरे लिए एक नई जगह थी। जहां पर रोड से ऑफिस तक की दूरी लगभग 4 किलोमीटर है। और कोई जाने का साधन नहीं है। मैं पैदल दूरी को तय करती हुई वहां पहुंची। शुरुआती दिनों में मेरे सामने कुछ चुनौतियां आई। जिनका मैंने सामना किया। पहले दिन मैं और मेरे सभी साथियों ने एक-एक पौधा रोपित किया। यहां हम प्रकृति से जुड़े और वातावरण में जल्द ही ढल गए। क्योंकि मैंने वहां के सभी लोगों को देखा और अनुभव किया कि समानता फाउंडेशन के सभी लोग बहुत ही मददगार हैं। आगे हमने यहां पर समानता के विजन और मिशन को समझा। और हमने दिन प्रतिदिन अपने अंदर कि उन खास चीजों पर काम किया जिनके बारे में हम कभी उतना नहीं सोच पाते। हमने अपने मूल्य, भेदों को जाना और समझा कि क्या हम अपने मूल्यों के साथ भी मोल-भाव कर सकते हैं।
आखिर जहां तक मैं अपने बारे में बताऊं मुझे तो मेरे मूल्य के साथ मोलभाव करने का सवाल ही नहीं उठाता। और हमने जाना कि आखिर कल्चर होता क्या है कहां से होती है इसकी उत्पत्ति। हम सब लोग मिलकर ही कल्चर का निर्माण करते हैं। देखा जाए तो यहां भी हमारा एक कल्चर ही है। एक साथ मिलकर काम करना और हमने यहां पर सीखा कि कैसे हम मिलकर किसी भी जटिल समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। समानता से जुड़कर मुझे एक नई मंजिल तय करने का अवसर मिला है।
Written by Shiwani
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