हैलो दोस्तो,
मैं अपने मई के महीने का अनुभव साझा करना चाहूँगी। पहले दिन जब मैं स्कूल गई तो सोच रही थी कि कैसे बच्चों को समझ पाऊँगी या नहीं क्योंकि मैं अलग समुदाय के बच्चों से मिल रही थी। जब मैं बच्चो से मिली तो मुझे उनको समझने मे ज्यादा समय नही लगा और बच्चे भी मुझे अच्छे से समझ पाए। मैंने पहले बच्चो से सबके नाम पूछे पर भले ही मुझे उनके नाम याद नही हुए थे पर मैंने पूछा और साथ ही अपना नाम भी बताया। मुझे बच्चो के साथ एक रिस्ता बनाना था जिसको की शायद मैं बना पाई हूँ। मैं जब स्कूल गयी थी तो मैंने बच्चो को कुछ खेल खिलाये जिसमे उन्हें काफी मजा आया। धीरे- धीरे बच्चो और मेरा रिश्ता एक तरह से काफी मजेदार बन गया है। मुझे बच्चों को नई- नई चीजे सिखाने और उनसे सिखने के लिए कई चिज़े मिली।
शुरुआत मे बच्चों की बातों को सुनने और समझने मे थोड़ी चुनौती आई पर अब शायद मैं थोड़ा बहुत उनकी बातों को सही से समझ और थोड़ा बहुत बोल भी लेती हूँ और बोलने की भी कोशिश करती हूँ। बच्चों को पढ़ने के साथ मैं कम्युनिटी विजिट के लिए भी गई और माता-पिता से मिलना हुआ। मुझे सिखने को मिला कि कैसे किसी से बात करनी है और अपना परिचय किस प्रकार दिया जाना चाहिए। बच्चो ने शुरुआत में मुझे परेशान किया जैसे उनको पानी पीने या कही भी जाना होता तो सारे बच्चे एक साथ खड़े हो जाते थे और जब मैंने अपनी यह बात गुनीत सर से ये बात बताई की बच्चे ये सब करते है तो सर ने मुझे एक प्लेन बताया जो की बहुत अच्छे से काम किया । उन्होंने ने बताया कि अपने फोन मे एक समय सेट कर लीजिए और सभी बच्चो को बोलना की जिस किसी को बार्थरूम, कॉपी एवं पेंसिल लेने जाना है वो चले जाए और समय ख़त्म होने से पहले आ जाए। इस बात को मैं हमेशा ध्यान मे रखती हूँ और यह प्लेन काम भी करता है।
इसी तरह से मेरी जिंदगी बच्चो के साथ शुरू हुई और मुझे बच्चों के साथ रहना अच्छा लगा। मैं उन्हे अच्छे से समझ भी पाती हूँ और जब भी हम स्कूल जाते है तो सारे बच्चे मेरे आस पास इकट्ठा हो जाते है और जब मैं किसी दिन भी छुट्टी पर रहती हूँ तो बच्चे पूछने लग जाते मैम कल क्यों नही आये? उनकी यह बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
यही मेरी इस महीने की मुख्य बातें रही और कोशिश यही करूँगी कि बच्चों के साथ अच्छा रिश्ता बनायें रखूँ।
By Mohini
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