मेरे लिए जुलाई का महीना काफी खराब रहा । महीने के शुरू से ही बारिश बहुत ज्यादा हो रही थी। स्कूल भी खुल चुके थे लेकिन तीन-चार दिन तो बच्चे नहीं आए। कुछ दिनों के बाद जैसे ही बच्चों ने आना शुरू किया इतने में काँवर यात्रा के कारण पूरे ज़िले के स्कूल की छुट्टियां पड़ गई । ऐसे में हम सब ने यह फैसला लिया कि इन छुट्टियों में हम बच्चों को घरों में है पी बीएल कराएंगे। अपने प्लान को लेकर हम छुट्टी के पहले दिन से उत्साहित थे। परंतु इस महीने बारिश इतनी ज्यादा थी के हम पी बी एल नहीं करवा पाए। बारिश इतनी ज्यादा हुई के लोगों के घरों में पानी घुस आया और लोगों के घर भी टूट गए। पानी इतना ज्यादा बरसा कि बाढ़ के कारण बस्ती के क्षेत्र डूबने की आशंका थी। लेकिन मुझे सबसे प्यारी बात यह लगी की बारिश के मौसम में और बाढ़ का मौसम भी था तब भी हम बच्चों से मिलने जाते थे। बच्चे दौड़ते और हस्ते हुए हमारे पास आते थे। एक बच्चों के चेहरों पर एक अलग उत्सुकता थी। वह बताने लगा कि हमारे घर की दीवार गिर गई और पानी अंदर घुस आया। वह हंसते-हंसते पूरी घटना कर्म बता रहा था। मेरे लिए यह अजीब बात थी के इस डरावने माहौल में बच्चे हमें देखकर भागे आते और सारी बातें हमें बताते।
मेरे यहां पर बारिश बहुत ज्यादा हुई जिसके कारण चलने के लिए रास्ता बिल्कुल नहीं था। लेकिन मैंने यह सोच रखा था कि बच्चों से जरूर मिलने जाऊँगा। मैं अपने घर से पैदल गया। कई बार मेरी गाड़ी खराब हो गई। लेकिन मैं नहीं रुका। मैं बच्चों से मिलता रहा। जब मैं बच्चों से मिलता था, वे मुझे अपने अपने घर की कहानी बताते थे जिन्हें सुनकर मजा आता था। मैंने हर संभव कोशिश कड़ी के मैं हर बच्चे की कहानी सुनु और उन्हें महसूस हो के उनकी बात भी कोई सुनता है।मैं हमेशा बच्चों की हर बात सुनता था। मुझे तो खुशी तब हुई जब बच्चे मुझे सेक्टर में देखकर दोनों साइड से मेरे हाथों को पकड़ते साथ साथ चलते और बताते यह देखो सर यह हमारा छप्पर गिर गया और यहां पानी भर गया। वे अपनी कहानियों को बताते और मेरी तरफ देख-देख कर हंसते। जब इन मासूमों की बात कोई सुनता है यह रुकने का नाम नहीं लेते। यह बस अपनी सुनाते जाते हैं। बच्चो की बातों में मासूमियत और सच झलकता है।
By Saddam
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