top of page
Writer's pictureSamanta

बाल दिवस और मैं

इस महीने मुझे नया और अलग अनुभव मिला। हम स्कूल में पीटीएम करवाने के लिए सहयोग करते है, बच्चों के माता पिता से मिलना होता है और रोज़ाना बच्चे पी बी एल प्रोजेक्ट्स अनुभव करते है। परंतु इस महीने एक नई ज़िम्मेदारी महसूस हुई क्योंकि मै स्कुल में खेल प्रतियोगिता के आयोजन में सहयोग कर रही थी और यह मेरे लिए एक दम नया अनुभव था। जब मैं स्कूल में पढ़ती थी तब स्पोर्ट्स डे होता था जिसका हमें बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता था। परंतु इस दिन के लिए कितनी तैयारियां चाहिए होती है इस चीज का एहसास एक शिक्षक की भूमिका में आकर पता चला।

अब सोचती हूँ कि हमारे टीचर्स कितना मेहनत करते थे। 

हमारे एक दिन को मस्ती भरा बनाने के लिए वे लम्बे समय से प्लानिंग करते थे। इस दिन से हमारी बहुत यादें होती थी और ऐसा ही कुछ मुझे अपने स्कूल के बच्चों के लिए करना था। जब हेडमास्टर सर से स्पोर्ट्स डे की चर्चा हुई तो कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया। फिर एक दिन, मैं और मेरे एक साथी की सर से वार्ता हुई और सर के साथ अच्छी चर्चा होने के बाद हमने स्पोर्ट्स डे के लिए एक दिन तह कर लिया।

स्पोर्ट्स डे की तैयारी करवाने के लिए दो-चार दिन थे और बीच में छुट्टियां भी थी। हमने आपस में चर्चा की और सर से बात करके अपनी चिंता राखी। हमने चर्चा की के खेल प्रतियोगिता करवाने के लिए यह कम समय है और खेल प्रतियोगिता के लिए बच्चो की अच्छी तैयारी होनी चाहिए। फिर यह तह हुआ कि हमे दिनांक बदल कर कुछ दिनों बाद की रखनी चाहिए।  खेल प्रतियोगिता वाले दिन बच्चे बेहद उत्साहित थे और उन्हें देख कर सभी टीचर खुश और उत्साहित थे। मेरी पूरी कोशिश थी कि यह बच्चों के लिए एक यादगार दिन हो। इसके पीछे लम्बे समय तक वृंदा दीदी के साथ मैंने चर्चा की और सभी पहलुओं पर काम किया। हर छोटी बड़ी चीज़ को ध्यान में रखकर तैयारी करना एक लम्बा और थका देने वाला अनुभव था। मुझे ख़ुशी है के बच्चे आज भी खेल प्रतियोगिता वाले दन की बात करते है और फिर से उस दिन के आने का इतंज़ार करते है।




By Aafreen

16 views0 comments

Comentários


bottom of page