मुझे बचपन से स्कूल जाने का बहुत शौक था। मैं बहुत छोटी थी स्कूल में एडमिशन नहीं करवा रखा था, मैं अपने बड़े भाइयों के साथ रोज स्कूल जाती थी। भाइयों ने मेरा नाम फातिमा लिखवा दिया था। जो कि मेरा नाम नहीं था। फिर मेरे पिताजी ने एडमिशन करवाया तो नाम आमना परवीन लिखवाया।
मैं रोज स्कूल जाने लगी, जाते जाते मैं सेवंथ क्लास में पहुंची तो मेरे पिताजी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई। मुझे सेवंथ क्लास से सिक्स मंथ घर में रोका गया जब 6 महीने तक स्कूल नहीं गई तो फिर टीचर मेरे घर पर आए टीचर ने पिताजी से पूछा कि आमना को स्कूल से क्यों रोका गया है?
पिताजी ने बोला कि मेरी तबीयत बहुत खराब है इसलिए रोका है। टीचर ने बोला कोई नहीं अगर आपकी तबीयत खराब है तो इसको स्कूल भेज दो कॉपी किताब उसकी फीस सब मैं खुद कर लूंगा। तो फिर से मैं स्कूल जाने लगी।
दसवीं पास करने के बाद फिर सभी लोग बड़ा करने लगे सिर्फ मैं और मेरे पापा ने बोला कि मैं पढ़ लूंगी। पापा ने बोला मैं अपनी बेटी को पढ़ा लूंगा इसी तरह मैंने 12वीं पास कर ली। उसके बाद फिर घर में रोका गया फिर भी जबरदस्ती आगे पढ़ने की कोशिश की, पापा ने मेरा पूरा साथ दिया। पापा ने मेरे साथ एक प्रॉमिस किया था अगर १२ पहली बार पास कर लोगी तो आगे पढ़ा लूंगा!
इसी तरह मैंने ग्रेजुएशन कंप्लीट कर लिया। ग्रेजुएशन के बाद मेरे सभी चाचू दादा मम्मी भाई मम्मी सभी ने शादी के लिए फोर्स किया मुझे! मेरा मन शादी करने का नहींं था। मुझे पुलिस में जाने का बहुत शौक था। लेकिन पुलिस में जाने के लिए किसी ने साथ नहीं दिया की पुलिस की नौकरी नहीं करनी है उसके बाद मैंने b.ed कर लिया। b.ed करने के बाद मैंने एक प्राइवेट स्कूल में जॉब 2 साल तक
उसके बाद सभी फैमिली वाले शादी के लिए फोर्स किया मेरा तब भी मन नहीं था मैं चाहती थी तू जब तक मैं अपना स्टैंड ना बना पाऊ तब तक शादी ना करु। लेकिन फिर पापा ने भी मुझे फोर्स बेटा पढ़ाई भी करते रहना शादी भी कर लो फिर मैंने पापा की बात मान ली शादी हो गई शादी के बाद मैंने एक छोटी सी शॉप खोलो जिसमें कॉस्मेटिक एंड परचून का सामान रखा है साथ ही साथ घर का भी सारा काम खुद करती हूं और सिलाई भी करती हूं।
आमना परवीन
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