आर्ट गैलरी बनाने के सफर में मुझे किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा…!!
मेरा नाम रेणु है, और मैं यूपी के एक छोटे से गांव, गणेशपुर, की रहने वाली हूँ। मेरा परिवार साधारण है, लेकिन मेरा सपना बड़ा था—मैं अपनी खुद की आर्ट गैलरी खोलना चाहती थी। पर मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपने इस सपने को कैसे पूरा करूँ।
फिर एक दिन मेरी मुलाकात मेरी एक पुरानी दोस्त से हुई। उसने मुझे समानता फाउंडेशन के बारे में बताया और कहा, "तुम वहाँ जाओ, कुछ न कुछ ज़रूर हासिल करोगी।" उसकी सलाह पर मैंने समानता से संपर्क किया और वहाँ तन्या मैम और प्रशांत सर से मेरी बात हुई। उन्होंने मुझे तीन दिन की वर्कशॉप में बुलाया, जो बोधि ग्राम, थान्नो में हुई थी।
वहाँ जाकर मैंने तीन दिन बिताए और कई नई चीज़ें सीखीं। मैंने अपने सपने के बारे में सबको बताया, और मुझे महसूस हुआ कि यहाँ से मैं अपने सपने को पूरा करने का रास्ता ढूँढ़ सकती हूँ। उस वर्कशॉप ने मुझे बहुत प्रेरित किया और आज भी मैं उतनी ही खुश हूँ कि मैंने अपने सपने पर काम करना शुरू कर दिया है।
अब मुझे समानता से जुड़े हुए दो महीने हो गए हैं। इन दो महीनों में मैंने इतना कुछ सीखा है कि अब अपने काम को लेकर और भी उत्साही हूँ। मैं अपने काम के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हूँ और समय की परवाह किए बिना अपने सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रही हूँ।
जल्द ही मैं अपनी खुद की आर्ट गैलरी खोलने वाली हूँ।
समानता के माध्यम से मैं फिर से उस दुनिया में वापस आ गई हूँ जिसे कभी मैंने खो दिया था। ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, और मेरे जीवन में भी बहुत मुश्किलें आईं। एक समय ऐसा भी था जब मेरी पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी, फिर से खड़ी हुई और अपनी पढ़ाई पूरी की।
आज मैं एक हाउसवाइफ हूँ और साथ ही एक टीचर भी। इसके अलावा, अब मैं समानता की एक फेलो हूँ, जो अपने सपने—आर्ट गैलरी—पर काम कर रही हूँ।
समानता में आने के बाद मैंने बहुत कुछ सीखा। नए लोग मिले, नए दोस्त बने, और उनके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा। मैंने उनके संस्कृति के बारे में भी बहुत कुछ जाना। समानता की बदौलत मैं आज अपने सपने को पूरा होते हुए देख पा रही हूँ।
धन्यवाद, समानता और सभी टीम के सदस्यों का!
- रेणु
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