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वक़्त के साथ बदलता किरदार

Writer's picture: SamantaSamanta

Updated: Nov 2, 2024



नलोवाला आंगनबाड़ी केंद्र में फैलो के रूप में भेजा गया तो मेरे लिए खुशी का पल भी था और मैं घबराई हुई भी थी| खुशी का पल इसलिए था क्योंकि जिस आंगनबाड़ी केंद्र में कभी मै खुद पढ़ती थी आज उसी आंगनबाड़ी केंद्र में मुझे बच्चो को पढ़ाने का मौका मिला| इससे यह बात मुझे बखूबी समझ आई कि वक्त बदलने के साथ साथ हमारा किरदार भी बदल जाता है| पर यह सब तब हुआ जब हमारे अंदर काबिलियत हो ओर उसे दूसरों को दिखा सके और समानता ने मुझे इस योग्य समझा| उन्होंने मुझे मेरी काबिलियत को समाज के अन्य लोगों को दिखाने का भी अवसर दिया| घबराई हुई  मैं इसलिए थी क्योंकि इससे पहले मैने कभी स्कूल में बच्चे नहीं पढ़ाए| अन्य लोगों के सामने कैसे पढ़ाऊंगी, क्या करूंगी मुझे इतना अनुभव नहीं था| जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं वह काफी सालों से बच्चो को पढ़ाती हैं| क्योंकि उन्हें बच्चो के बारे हमसे ज्यादा तजुर्बा है तो मैं सोचती थी कि मैं यह सब जिम्मेदारी निभा पाऊंगी या नहीं।


लेकिन जब में पहले दिन आंगनबाड़ी केंद्र गई और वहां बच्चों ओर कार्यकर्ता से मिली, बच्चे मुझे देखकर बड़े खुश हुए| क्योंकि सब मुझे पहले से जानते थे| आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी मेरे आने से काफी खुश हुई की अच्छा है हे अब तुम आ गई हो मुझे भी मदद हो जाएगी। बच्चों के साथ पढ़ाने में उन्हें अपने अन्य काम करने होते हैं|


बच्चों को में जब भी खेल के माध्यम से पढ़ाती, तो बच्चे अपनी बहुत सी बातें मुझे बताते इससे पहले बच्चे अपनी मैडम से सब बाते नहीं करते थे|

जिसकी वजह

  1. उनकी भाषा,

  2. कक्षा में उन्हें फालतू नहीं बोलने देना,

  3. केवल उन्हें कॉपी पर लिखवाना,

  4. बच्चो को खुलकर बोलने का मौका नहीं देना

  5. उनके साथ जो गुरु ओर शिष्य वाला पारंपरिक रिश्ता

    हो सकता है|


    परंतु हमें उन सब बाधाओं को खत्म करना हे ओर बच्चो को  कक्षा में उनकी बातें बिना डरे कहने योग्य बनाना हे| उसके लिए बच्चो के साथ हमारा रिश्ता एक गुरु जैसा ना होकर एक दोस्त जैसा होगा तो शायद हम उस चीज में सक्षम हो सकेंगे|


    यही सारी बातें मैंने अपनी कार्यकर्ता से कि तो उन्होंने मुझे थोड़ा बहुत सहयोग दिया| में बच्चो को जब भी कोई गतिविधि बच्चो को कराती हु तो वह खुशी के साथ उसे करते हे, याद भी रखते हे|


    इससे मुझे यह समझ आ गया कि बच्चे खेल या गतिविधि ओर उनकी अपनी भाषा उनको जल्दी आकर्षित करते हे| मैं बच्चो के साथ रोज एक्टिविटी या गेम्स के माध्यम से उन्हें सिखाने का प्रयास करती हु जिससे बच्चे  सीखने या खेलने के लिए बड़े उत्सुक्त रहते  हे| अगर बच्चे खुशी से किसी चीज को सीखते हे तो उसमें हमे भी खुशी मिलती हे कि हम बच्चो को जो सीखा रहे हैं बच्चे उसमें दिलचस्बी से सीख रहे| ना केवल खेलते हे बल्कि वह जो सिखाया गया उसे याद भी करते हे| साथ ही मुझे बच्चो के साथ खेलते हुए अपने बचपन के वो सभी खेल याद आ जाते हे जो मैने खेले हे|


    अपने बचपन याद आता है जिसमें केवल खेल पर ही ज्यादा ध्यान होता था| इन सब बच्चो की तरह इतना तो समझ आ गया कि बचपन में सबको खेल से ज्यादा लगाव होता ओर फिर अगर हमें कोई उस खेल के माध्यम से सिखाने का प्रयास करेगा तो वह हम जल्दी सिख लेते हे बजाए कॉपी पर लिखकर इसलिए हमें बच्चो को सिखाना हे तो प्लेबेस मैथड का उपयोग करना होगा।




    (अमरीन जहां नन्हे कदन फेलोशिप में एक फेलो है और अभी राजाजी नेशनल पार्क के समीप एक आंगनवाड़ी में फेलो के रूप में काम करती हैं)


[कार्यक्रम - प्रारंभिक विकास विशेषज्ञों के लिए कौशल वृद्धि]

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