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Writer's pictureSamanta

सफलता की कहानी

Updated: Nov 2




''कठिनाइया कितनी भी हो रूकना नही"


मैं तनु !


मैं उत्तराखण्ड के एक छोटे से गाँव से हूँ जहाँ लडकियों और महिलाओं को ज्यादा आजादी नहीं दी जाती। शिक्षा के लिए रोक दिया जाता है। मैंने जब अपनी बारहवीं की परीक्षा दी तब ही मेरे माता पिता ने जवाब दे दिया। आगे पढने की कोई जरूरत नहीं है। हमारे पास इतने पैसे नहीं की तुम्हारी फीस अदा कर सकें। अब मेरे सामने एक चुनौती आ गई।


लेकिन..


मन में ठान लिया था कि पढना है। फिर कितनी भी परेशानी क्यों न हो| में अब 23 साल की हूँ| मुझे मेरी एक दोस्त ने एक फॉर्म के बारे में बताया तो मेने उसमें हिस्सा लिया। फिर में समानता की टीम की नन्है कदम फैलोशिप से जुड़ी। उसमें ECC(प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा विकास) पर ट्रेनिंग दी गई । अब में आँगनबाड़ी केन्द्र पीली पडाव गई| बच्चों, कार्यकर्ता और सहायिका से मिली| में बहुत खुश थी मुझे बच्चों के साथ काम करने और सिखने का मौका मिला है।


मुझे शुरुआत में बहुत मुश्किलो का सामना करना पड़ा। क्योंकि वो गाँव जंगल से आगे था, वहाँ आने जाने के लिए कोई वाहन सुविधा नहीं थी। जंगल का रास्ता था| वहाँ दुसरे गाँव में मै किसी को जानती नही थी। परिवार का भी सहयोग नहीं मिला क्योंकि वो सहमत नहीं हुए दुसरे गाँव में भेजने के लिए।


मेरे सामने फिर एक चुनैती आ खडी़ हुई। शुरू में.......मैं हार मान चुकी थी कि मैं नहीं जा पाऊँगी। फिर टीम के सदस्यों ने मेरी मदद की और मुझे बढावा दिया कि कोशिश करनी चाहिए। मेने फिर हार नहीं मानी और में लगातार जाने लगी। धीरे-धीरे जान पहचान होने लगी बच्चों के माता- पिता से मिलना हुआ।सब मेरी मदद करने लगे| मुझे फिर कोई डर नही लगा ।


मैनें आँगनबाड़ी  में एक लड़की को देखा जो चार साल की थी। वो मुझे दुसरे बच्चों से अलग लगी| वो एक कोने में अकेली बेठती और अपनी बात भी नहीं बोल पाती थी।वो बहुत डरी हुई रहती थी। दुसरे बच्चे भी उदास रहते थे। मुझे लगा कि बच्चों के लिए आँगनबाड़ी को child friendly बनाना चाहिए जिससे बच्चे खुश होकर आँगनबाड़ी आने लगे। बच्चों के लिए मैनें  टी ऐल ऐम [Teaching Learning Materials] बनाये और बच्चों को मजेदार खेल खिलाये| उनकी ईच्छा के अनुसार भी उनको गतिविधियाँ करवायी।


बच्चे बहुत खुश हुए। अब सब बच्चे आँगनबाड़ी आते हैं| बिना डरे अपनी बात बोल पाते हैं। अब मुझे बहुत अच्छा लगता है| बच्चों के साथ काम करना और में बच्चों से सीख भी रही हुँ।


अब मैं शायद धीरे-धीरे अपने काम में सफल हो रही हुँ। बच्चे आँगनबाड़ी आकर बहुत खुश होते हैं। बच्चों को खुश करना ही मेरी सफलता है। में आगे भी ऐसे ही मेहनत करती रहुँगी बच्चों के लिए।





तनु नन्हे कदन फेलोशिप में एक फेलो है और अभी पीली पड़ाव - राजाजी नेशनल पार्क के समीप एक - आंगनवाड़ी में फेलो के रूप में कार्य करती हैं|


(कार्यक्रम - प्रारंभिक विकास विशेषज्ञों के लिए कौशल वृद्धि)

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